Gangaram Patel & Bulakhi Nai ki manoranjak kahaniyan In Hindi | गंगा राम पटेल और बुलाखी नाई की अद्भुत हिंदी कहानियां।
अग्नि परीक्षा
बुलाकी राम बुलाकी राम बाजार से कुछ सामान लेकर वापस लौट रहा था कि तभी उसने एक मकान के सामने एक अजीब नजारा देखा एक बहुत ही सुंदर औरत एक चौकी पर बैठी जल रही थी उसके शरीर से आपकी बड़ी-बड़ी लपट निकल रही थी लेकिन फिर भी ना तो वह मदद के लिए किसी को बुला रही थी और ना ही उसके शरीर में कोई और हरकत थी उसे देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर पर आग का कोई असर ही ना हो रहा हो वह तो बस आंखें बंद कर चुपचाप आग की लपटों के बीच बैठी हुई थी कुछ लोग उस आग पर पानी डालकर उसे काबू करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन जैसे ही आग में पानी पड़ता तो आग और विशाल हो जाती मैंने भी वहां रुक कर यह बात जानने की बहुत कोशिश की कि आखिर यह आग पानी डालने से भुज क्यों नहीं रही है आपके बीच में कि वह सुंदर औरत कौन है और वह क्यों इस तरह आग के बीच बैठी हुई है आप उसे जला क्यों नहीं पा रही मुझे वहां मेरी इन बातों का कोई उत्तर नहीं मिला पटेल जी अब आप ही मेरी इन बातों का जवाब देकर मेरे मन को शांत कीजिए !
अग्नि परीक्षा |
पटेल जी चुपचाप यह सब बातें सुन कर और मुस्कुराए और बोले -
दुनिया बहुत ही अजीब और गरीब बातों से भरी पड़ी है भगवान की बनाई हुई कुछ ऐसी चीजें भी है जिन्हें समझ पाना बहुत कठिन है आज भी अनेकों बहुत से ज्ञानी और वैज्ञानिक ऐसे हैं जो इन अजीब और गरीब बातों का रहस्य जानने में जुटे हुए हैं कुछ बातों में कौन है बहुत हद तक सफलता मिल भी गई है और अभी भी कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे वह कोसों दूर नजर आते हैं इस सवाल का जवाब भी कुछ ऐसा ही रहस्यमय है।इस नगर में धनपत नाम का एक अमीर व्यक्ति रहता है की एक सुंदर पत्नी है जिसका नाम है रूप कुमारी रूप कुमारी अपने नाम की तरह ही बहुत गुणवान है और सुंदरता में भी उसका कोई मुकाबला नहीं।
एक दिन रूपरानी अपनी सहेलियों के साथ नगर के किनारे तालाब में नहाने के लिए गई वहां पास ही उसके पति का बहुत बड़ा बाग भी है जहां बहुत से फलदार पेड़ लगे हुए हैं रूप रानी अपनी सहेलियों के साथ नहाने के बाद उस भाग पर गई। एक के पेड़ के नीचे उन सभी ने अपने कपड़े सूखने के लिए रख दिए है और फिर वे सभी यहां वहां बाद में घूमने लगे रूप कुमारी हुई टहलते हुए एक बरगद के पेड़ के नीचे जा पहुंची उस पेड़ पर एक प्रेत रहता था।
वह प्रेत रूप कुमारी को देख कर ही उस पर मोहित हो गया और मौका पाकर मैं उसके शरीर में चला कर गया। कुछ समय तो रूप कुमारी बिल्कुल पहले की ही तरह की लेकिन धीरे धीरे उसके शरीर में अजीब से बदलाव होने शुरू हो गए।
अपने पति धनपत से बात करने में पत्र आने लगी वह जल्दी जल्दी खाना पीना बना कर पति को खिलाती और जो थोड़ा बहुत खुद खा कर खुद को एक अलग कमरे में बंद कर लेती।
आगे रूप कुमारी की आदतों में और ज्यादा बदलाव होने लगे अब वह दिन में सोती और रात में जागती थी। सारा समय वह गुमसुम और चुपचाप रहने लगी थी इसीलिए उसके पति ने रूप कुमारी का इलाज कई हकीमो और वैद्ययों से करवाया लेकिन रूप कुमारी को कोई भी फर्क नहीं पड़ा रूप कुमारी की इस हालत को देखकर उसका पति और अधिक चिंता में पड़ गया अब उसने तांत्रिकों और गुनियो का सहारा लेना सही समझा लेकिन उन सभी ने भी रूप कुमारी को बिल्कुल साफ सुथरा बताया उन्हें भी उस पर ना किसी भूत प्रेत का और ना ही किसी दूसरी बला का साया नजर आया।
सबके बीच एक और बड़ा बदलाव रूप कुमारी में देखने मिला उसका पति जब भी रात को उसके बिस्तर पर आता तो वह उसे झटक कर खुद दूर हो जाती और दूसरे कमरे में जाकर अंदर से कमरे को बंद कर लेती।
यही सब चल रहा था कि एक रात धनपत को उसकी बीवी के कमरे से कुछ अजीब आवाजें सुनाई थी उसने सोचा पता नहीं क्या बात है चल कर देखना चाहिए धनपत में बंद कमरे के बाहर दरवाजे के एक छोटे छेद से अंदर देखा तो उसे सारे कमरे में हल्की पीली रोशनी फैली हुई दिखाई पड़ी उसकी पत्नी अपने बिस्तर पर बैठी हुई थी और बिस्तर पर ही चौसर और पासे पड़े हुए थे।
रूप कुमारी बार-बार पासे खेती और जब उसका दाव सही लग जाता तो खिलाकर हंसती इसी तरह बीच-बीच में किसी आदमी की आवाज भी उसे सुनाई दे रही थी। लेकिन कमरे में कोई आदमी नजर नहीं आ रहा था इस हालत को देखकर धनपत को रूप कुमारी के चरित्र पर शक हो गया।
उसने इस राज को जानने का निर्णय मन में कर लिया। अब वह भी रूप कुमारी की तरह दिन में सोता और रात में जागता एक दिन मौका पाकर वह रूप कुमारी के कमरे में जा घुसा और छुप कर बैठ गया वह कमरे में होने वाली हर एक हरकत पर अपनी नजर बनाए हुए थे इतना तो उसे भी समझ आ गया था कि यह सब जरूर किसी प्रेत आत्मा का काम है जो उसकी पत्नी के शरीर में समा गई है।
अब यह जानना चाहता था कि आखिर यह प्रेतात्मा कौन है जो तांत्रिक और गुनिया की नजर से भी बच निकली यही सब सोचते हुए उसे और ज्यादा तनाव महसूस होने लगा।
कमरे में छुपकर व इंतजार करने लगा कि आखिर उसकी बीवी किसके साथ चौरस खेलती है कौन है वह शक्ति जो उसकी बीवी को चौरस खेलने के लिए मजबूर कर रही है।
धनपत घंटों तक बिस्तर के नीचे छुपा रहा कि अचानक कमरे में एक भीगी धुंधली सी रोशनी फैल गई फिर एक मर्दाना आवाज गूंजी क्या आज चौसर नहीं खेलोगी रूपरानी।
रूप रानी को भी जैसे उसका ही इंतजार था उस आवाज को सुनकर व झटपट उठ कर बैठ गई और जल्दी से चौरस बिछाकर बोली आइए बैठिए! मैं तो आपका ही इंतजार कर रही थी।
बिस्तर के नीचे छुपे उसके पति को महसूस हुआ कि कोई भारी वजन वाला बिस्तर पर आकर बैठ गया हो फिर पासे सीखने की आवाज में शुरू हो गई कभी उसकी पत्नी की खीर खिलाने की आवाजें सुनाई देती तो कभी किसी पुरुष के उत्साह भरे स्वर सुनाई देते।
बीत जाने के बाद अब धनपत की सहनशक्ति टूट गई एकाएक चारपाई के बाहर निकला और गुस्से भरी नजरों से अपनी पत्नी की ओर देखने लगा और बोला कौन है वह अदृश्य व्यक्ति जिसके साथ तू चौसर खेल रही है। अपने पति को अचानक ऐसे सामने देखकर रूप कुमारी के होश उड़ गए और घबराते हुए बोली कि-
क.. क....कोई भी नहीं है। मैं तो बस अकेली ही चौसर खेलकर अपना मन बहला रही थी।
गुस्से में लाल उसके पति ने कहा झूठ बोल रही है तू मैंने अभी-अभी महसूस किया था कि बिस्तर में कोई भारी वजन वाला व्यक्ति बैठा हुआ था उसका उत्साह भरा स्वर भी मैंने सुना था आज तुझे यह राज बताना ही पड़ेगा कि कौन है जो तेरे पास आता है।
रूप कुमारी पास कोई उत्तर नहीं था लेकिन उसका पति कुछ भी सिम में तैयार नहीं था एक बार और उसने अपने प्रश्न को जोर से दोहराया जिस पर हार कर रूप कुमारी को सच बताना पड़ा लेकिन उसने कहा आप अगर इज्जत कर रहे हो तो मैं बता देती हूं लेकिन एक बात का ख्याल रखना बताने के बाद मैं कल शाम तक ही जिंदा रह पाऊंगी उसके बाद आप मुझे कभी नहीं देख पाओगे।
इस पर रूप कुमारी का पति तेल मिलाते हुए पूरा नाम बताओ उसका कौन है जो तुझे ले जाएगा मैं उसकी टांगे चीर दूंगा।
अपने पति की बातें सुनकर रोकोमारी को हंसी आ गई और वह बोल पड़ी कैसी बातें कर रहे हैं आप भला किसी बिना शरीर वाले को कोई मार सकता है क्या?
बिना शरीर वाला यानी कि कोई प्रेत?
रूप रानी ने हां में जवाब देकर कहा जी हां वह बिना शरीर का ही है लेकिन मेरा हितेषी है उसने मुझ पर कभी कोई बुरी निगाहें नहीं डाली और ना ही मेरे साथ कुछ बुरा किया वह तो सिर्फ कुछ मेरे साथ आने के लिए बेचैन रहता है और इसलिए कभी कभी रात के समय मेरे साथ चौसर खेलने मेरे कमरे में आ जाता है।
धनपत मुंह बनाकर कहता है-मुझे मूर्ख मत समझो मेरी रानी क्या तुमने कहीं सुना है कि किसी प्रेत ने स्त्री को सम्मोहित कर लिया हो और फिर उसे यूं ही छोड़ दिया हो इस बात में कोई शक नहीं है कि उस प्रेत ने तुम्हारे शरीर पर हक जमा लिया है और तुम्हें अपने पर्स में भी कर लिया है उस प्रीत के साथ अब तुम भी पतित हो गई हो।
पति की इन बातों को सुनकर रूप कुमारी को बेहद गुस्सा आया वह चिल्लाई और गोली बस बस ऐसा लांछन मुझ पर आप कैसे लगा सकते हैं मैं कसम खाकर कहती हूं कि मैं आज भी गंगा की तरह पवित्र हूं वह प्रेत मुझ पर मोहित जरूर हुआ है लेकिन उसने मेरे साथ कभी भी किसी भी तरह का कोई कुकर्म नहीं किया।
हम सिर्फ दोस्त है से ज्यादा उसने कभी कोई इच्छा नहीं जताई।
धनपत बोला मुझे इन सब बातों पर यकीन नहीं है क्या तुम अपनी बात को अग्नि परीक्षा देकर साबित कर सकती हो?
रूप कुमारी बोली बेशक कर सकती है लेकिन मैं पहले ही आपको चेतावनी दे देती हूं कि मेरी अग्नि परीक्षा लेने के बाद आप मुझे कभी भी देख नहीं पाएंगे।
धनपत भी जिद में और चुका था वह बोला बाद की बाद में देखी जाएगी पहले तुम अपनी सत्यता का प्रमाण दो उसके बाद मैं एक प्रेत्से तो क्या कई सौ प्रेतों से टकरा जाऊंगा।
अभी सुबह धनपत ने अपनी पत्नी को घर से बाहर आने को कहा और एक बार फिर उसे यह कहते हुए याद दिलाने लगा कि अब तो तुम मुझे अपनी अग्नि परीक्षा कि तुम कितनी पवित्र हो।
रूप कुमारी बिना कुछ बोले हैं एक चौकी उठा लाई और उस पर बैठ गई दोनों आंखें बंद कर दो कुछ मंत्रों का जाप करने लगी ऐसा करते ही चौकी के चारों ओर से आप की लपटें निकलने लगी सब देख कर धनपत घबरा गया और दौड़ता हुआ घर के अंदर से बाल्टी भर पानी ले आया जैसे ही उसने बाल्टी का पानी रुक कुमारी पर डाला तो वह आग और जोर से भड़क उठी यह नजारा देखकर वहां से गुजर रहे लोगों ने भी बहुत कोशिश की लोग जितना पानी रोक कुमारी पर डालते वह आप उतनी ही आक्रामक हो जाती रूप कुमारी भी आग के बीचो-बीच अपनी आंखें बंद किए बैठी थी और लगातार मंत्रों का जाप किए जा रही थी लोग भी अपनी भरपूर कोशिश कर रहे थे लेकिन आप ही की बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी कुछ देर बाद आप खुद ही बुझ गई तब धनपत दौड़ कर अपनी बीवी के पास पहुंचा उसने अपनी बीवी को बहुत ही लाए बुलाया होश में लाने की कोशिश की लेकिन उसकी पत्नी तो जैसे पत्थर की बन गई हो उसके शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।
रूप कुमारी बिल्कुल सुरक्षित थी उसका दिल भी धड़क रहा था वह जिंदा भी थी धनपत के लिए तो वह जैसे मर ही चुकी थी।
अब इस बात का राज तो अब तक राज ही है की आंखें उस वेद का क्या हुआ रूप कुमारी कब तक ऐसी रहेगी यह सारी भगवान की मर्जी है।
बुलाकी आज तुम जो नजारा देख कर आए हो वह सुंदर औरत वही रूपकुमारी है।
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